खुशियों से नाता जोड़ो
ग़म की उम्र कितनी होती है
खुशी कहां ज्यादा सोती है
थोड़ा-थोड़ा गम अब छोड़ो
और खुशियों से नाता जोड़ो
चाहे दुःख की घड़ी रही हो
चाहे जैसी हवा बही हो
हाथ आज एक अवसर आया
अपनों को अपनों से मिलाया
मम्मी – पापा सारे बच्चे
दादा – दादी कितने अच्छे
इनकी तरफ मन को मोड़ो
और खुशियों से नाता जोड़ो ।
अशोक सोनी
भिलाई ।