खुशियों भरे पल
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है जरूरी इस धरा पर स्नेह से जीवन बिताना।
बांटकर खुशियों भरे पल साथ आजीवन निभाना।
श्वेत हंसों का युगल जब मस्त जलक्रीड़ा मगन हैं।
स्नेह का हर स्वप्न अपने सामने साकार पाना।
प्राप्त करना पूर्णता को लक्ष्य जीवन का समझ लो।
धूप छाया में हमेशा साथ हैं हर पग बढ़ाना।
दृश्य सुन्दर हर हृदय में भावनाओं को जगाते।
चाहते कोमल अधर तब गीत मधुरिम गुनगुनाना।
झील में लगता समय भी रुक गया कुछ पल ठिठक कर।
जिस तरह सब चाहते हैं प्रीति में सब भूल जाना।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य।
मण्डी-१७५००१ (हिमाचल प्रदेश)