खुशियों को झोपड़ी में भी आना तो चाहिए।
गज़ल
221….2121…..1221…..212
हक है जो मुफ़लिसों का वो मिलना तो चाहिए।
खुशियों को झोपड़ी में भी आना तो चाहिए।
तुमको तो चाहिए हैं जमाने की नेमतें,
दो वक्त का तो उनको भी खाना तो चाहिए।
कम कर सके जो दर्द गरीबों का एक भी,
ऐसा भी कोई गीत सुनाना तो चाहिए।
ये सरज़मीं हमारी है तो इसके वास्ते,
हर इक को अपना फ़र्ज़ निभाना तो चाहिए।
बच्चों को मिल रहा है अगर लाड़ प्यार तो,
इज्ज़त अदब बड़ों को भी मिलना तो चाहिए।
दुनियाँ में यार दोस्त हैं बेहद जरुरी पर,
माँ बाप के भी साथ में रहना तो चाहिए।
सच्चा अगर है प्रेम तो प्रेमी से बोल दो,
आजन्म साथ मुझको तुम्हारा तो चाहिए।
……✍️ प्रेमी