“खुशियों की सौगात” #100 शब्दों की कहानी#
परिवार में पिता के शीघ्र गुज़र जाने से बड़ी बेटी होने के नाते मां के साथ अपने चारों-भाईयों के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आशा पर आ गई, मां को पेंशन मिलती और उसकी नौकरी के सहारे जीवनयापन आसानी से हुआ ।
जिंदगी की विषम-परिस्थितियों में वक्त के तेज-बहाव में उसने भाईयों के विवाह संपन्न कराए, परंतु स्वयं मां के सहारे के लिए किया समझोता और विवाह की उम्र भी रह गई पिछे ।
सेवानिवृत्ति के पश्चात उसकी तनहा जिंदगी में खुशियों की सौगात लिए अशोक का रिश्ता आया,उनकी बेटी को स्वीकारकर, एक मां ने उसका माथा चूमकर स्नेहभरा-प्यार लुटा दिया ।