खुशियों की डिलीवरी
खुशियों की डिलीवरी
“गुड इवनिंग सर। सर, मैं आपका फुड आर्डर डिलीवर करने आया हूँ।” डिलीवरी ब्वॉय बोला।
“व्हेरी गुड। लाओ, दे दो मुझे।” फुड पैकेट लेते हुए बुजुर्ग शर्मा जी ने कहा।
“सर, प्लीज रेटिंग कर दीजिएगा।” डिलीवरी ब्वॉय ने आग्रहपूर्वक कहा।
“जरूर। सुनो जरा…” शर्मा जी ने कहा।
“जी सर कहिए, क्या बात है ?” डिलीवरी ब्वॉय ने पूछा।
“तुम ऐसे ही प्रतिदिन लोगों को स्वादिष्ट भोजन की डिलीवरी ही करते हो, या फिर कभी-कभार अपने घर भी लेकर जाते हो ?” शर्मा जी ने यूँ ही पूछ लिया।
“सर, फूड डिलीवरी करना मेरी ड्यूटी है। इसी से मेरा परिवार चलता है।” कहते-कहते वह रूक गया।
“देखो बेटा, अभी रात के दस बजे चुके हैं। अब सीधे घर ही जाओगे या कहीं और भी फुड डिलीवर करना है ?” शर्मा जी ने पूछा।
“ये लास्ट था सर। अब सीधे सिटी हॉस्पिटल जाऊँगा। वहाँ मेरी माँ एडमिट है।” वह जाते हुए बोला।
“रूको, इस पैकेट से मुझे स्वीट्स निकालने दो। बाकी के फूड आइटम, जो प्योर वेज ही हैं, तुम ही ले जाओ। हॉस्पिटल में खा लेना।” शर्मा जी ने कहा।
“लेकिन सर…” वह सकुचाते हुए बोला।
“देखो बेटा, तुम संकोच मत करो। मेरे ऑर्डर करने के बाद ही मेरी वाइफ और बच्चों को अचानक पड़ोस में एक पार्टी में जाना पड़ा है। वे लोग वहीं से खाकर ही आएँगे। मैं हड़बड़ी में ये ऑर्डर केंसिल नहीं कर पाया था। अब इतना सारा खाना यूँ ही खराब तो नहीं कर सकते न ? इसलिए इसे तुम ले जाओ।” शर्मा जी ने इतने प्यार से कहा, कि वह मना नहीं कर सका।
घर के अंदर आकर शर्मा जी ने अपनी पत्नी से कहा, “अजी सुनती हो, मैं क्या कहता हूँ कि आज हम एक बार फिर पुरानी यादें ताजा कर लें क्या, जैसे शादी के बाद शुरुआती दिनों में अक्सर किया करते थे। इस स्वीट्स के साथ मैगी खा लें क्या ?”
“हाँ हाँ, क्यों नहीं ? आप बस दो मिनट रूकिए। मैं फटाफट मैगी बनाकर ले आती हूँ।” मिसेज़ शर्मा, शर्मा जी की डिलीवरी ब्वॉय से हुई पूरी बात सुन चुकी थीं।
दरअसल शर्मा जी की इसी अदा पर तो वह फिदा थी।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़