‘खुशियों का दरवाजा’
‘खुशियों का दरवाजा’
खुलता द्वार खुशी का जाने कौन से देश
लिखी है छोटी सी पाती भेजना है संदेश।
घर मेरे भी पाहुन बनकर कभी तो आजा,
मेरा कहना है उसको ये संदेश विशेष।
खुल जाना परदेशी जब आये,
पाँव दबाना जब वो थक जाए।
हौले-होले से झलना तू पंखा,
थाली में भोजन वो जब खाए।
हो जब उदास वो तू उसे हंसाए,
उसे प्यारी सी तू कथा सुनाए।
दुख सारे उसके अपने पास छुपाना,
वो घर अपने खुशियाँ लेकर जाए।