खुशियॉ लौट आयी हैं मिली जब चॉद-सी “जैनी”
चमकता चाँद सा चेहरा मेरे दिल में उतर आया !
हकीकत है या फिर सपनो में उससे बात कर आया !!
मिले दो पल मुझे भी इश्क़ को महसूस करने के ,
भ्रमर के रुप में जुगनू कुमुदिनी पर नजर आया !!
खुशियॉ लौट आयी हैं मिली जब चॉद-सी “जैनी” !
सुखद लगने लगा हर पल नहीं लगती है बेचैनी !!
लिए एहसास में जिसको विरह के गीत गाये थे,
वही सुंदर सलोनी खूबसूरत-सी है मृगनयनी !!
मुझे वो मिल गई कविता कहानी गीत गजलों में !
नजर आता है चेहरा फूल क्यारी और गमलों में !!
उसी के नाम का मै आजकल बस गीत गाता हूँ ,
रहेगी रानी बनकर वो सदा जुगनू के महलों में !!