* खुशियां मनाएं *
** गीतिका **
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स्वीकार कर खूब खुशियां मनाएं।
जब भी मुहब्बत का पैगाम पाएं।
बिल्कुल पराया न समझें किसी को।
समरस भरे भाव मन में जगाएं।
आभार उनका हमें है जताना।
अपनत्व कोई हमें जब दिखाएं।
भँवरे सभी को सुहाते बहुत हैं।
जब भी कभी बाग में गुनगुनाएं।
महके किसी फूल को देखते ही।
मन में सुखद जागती भावनाएं।
पथ है भरा कंटकों से हमारा।
मंजिल मिलेगी स्वयं को बचाएं।
निज जिन्दगी से हटाकर हताशा।
हर पग निरंतर सुपथ पर बढ़ाएं।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०६/११/२०२३