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2 Aug 2019 · 1 min read

खुशियाँ तू मुट्ठी में भर ले

नन्हा नन्हा बीज धरा से निकला,
खोल आँखे ,वो देखने जग चला,
चारो ओर थी बड़ी चहल पहल,
सुबह सुबह सब जन रहे टहल,

जैसे – जैसे दिन चढ़ा ,दूर हुई भौर,
बढ़ने लगा कोलाहल नही था छोर,
हवा में घुलने लगा था एक जहर,
सब पर ढा रहा था, बनकर कहर,

देख देख नन्हा पौधा यूँ घबराया,
केमिकल की मार से वह थर्राया,
खुलने से पहले बंद हुए नयन,
देख – देख तू मेरे प्यारे जन,

बढ़ गया हैं अब इतना प्रदूषण,
जहरीला हुआ यहाँ कण कण,

अभी समय है तू सम्भल,
जगा अपनी शक्ति प्रबल,
संभाल ले तू अपना कल,
निकाल ले तू कोई हल,

मिटा दे तू इस जहर को,
बचा ले अपने शहर को,
रोक ले तू इस कहर को,
थाम ले तू इस लहर को,

चंद चाँदी के टुकड़ों में
सवार हुआ तो दुखड़ो में,
विष पहुंच गया जड़ो में,
साथ तल और पहाड़ो में,

पेड़ लगाकर धरा बचा ले ,
पुण्य कार्य से जग रचा ले,
चहुँओर हरा – भरा कर ले,
खुशियाँ तू मुट्ठी में भर ले,
।।।जेपीएल।।।

Language: Hindi
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