खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे
खुशामद किसी की अब होती नहीं हमसे।
जरूरत हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
चाहते नहीं हैं अब हम, करना गुलामी।
मोहब्बत हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब———————–।।
जताते थे हमको अपनी मजबूरियाँ।
मजबूर थे जब उनकी मदद को।।
मंजूर नहीं हमको अब सिर झुकाना।
मिलना हो जिसको वह, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब——————।।
रहम हमपे क्यों उनको आया नहीं।
सितम जब हमपे किसी ने किये थे।।
नहीं अब पसंद उनसे हाथ मिलाना।
कहना हो जिसको कुछ, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब——————-।।
दिखावे के रिश्तें हम नहीं मानते।
बताते नहीं हमको मतलब धर्म का।।
यहाँ मतलबी बताओ कौन नहीं है।
देखना हो जिसको सच, आ जाये हम तक।।
खुशामद किसी की अब——————-।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)