खुशनुमा मौसम
रहें सब
प्रसन्न घर में
साथ बैठे हो
बच्चे बुजुर्ग सब
चलती रहें
हँसी ठिठोली
खाये
भजिये पकौड़े
जल रहीं हो
अंगीठी पास
मंद मंद
हो गरमी
मुँह में
हो चाय
की चुस्की
यहीं तो हैं
हसीं मौसम
के जलवे
निकले घुमने
कहीं दूर
संग जीवनसाथी
समुद्र किनारे या
हों सुहानी वादियां
मुस्कुराहट हो
चेहरों पर
सफर बनेगा
सुहाना
उत्साह उमंग
लायेगा
जीवन में
हसीं मौसम
सुहाना
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल