खुल कर जीना।
मरना तो एक दिन लाज़मी है,
खुल कर जीना सीखो,
औरों पर क्या हंसना यारों,
ख़ुद पर हंसना सीखो,
दूसरों को बदलना तो नादानी है,
बस ख़ुद को बदलना सीखो,
चंचल बहती हवाओं के साथ,
तुम भी मचलना सीखो,
मुस्कुराओ ऐसे कि साज़ बजे,
फूलों से खिलना सीखो,
जीवन है नाम उम्मीदों का,
हर हाल में चलना सीखो,
रामायण-महाभारत सब है जीवन,
इस जीवन से लड़ना सीखो।
कवि-अंबर श्रीवास्तव