खुली रखी है
हमारी किताब ऐं जिंदगी की जन्म से खुली रखी हैं।
जितना हमें दिया है, हमने वो सब जोड़ बनाके रखी हैं।।
हमारे दिल में नहीं है कि ढेरों रकब को पाल के रखें
हमने अपनी हथेलियां भी साफ़ करके मांज रखी हैं।।
ना अपने दिल में उबाल है ना आग की तपन तीखी
हमने अपनी आँखों में शांत संजीदगी आंझ रखी है।।
यह तो हम जानते हैं कि तुम हो तो बड़े आतताई ही
सच बताएं आज तक हमारी सारी अंतड़ियां बाँझ रखी हैं।।
कोशिश में जुटे देखा है ,मनु चारों पहर हमने तुम्हें
कहां गयीं वो रश्मियां फिर,घर में हमने सांझ रखी हैं।।
देख आसमाँ की तरफ में डूबता तेरी दरिया दिली में
दुआ हमने पाल साहब वो,सबके लिए मांग रखी है ।।