खुली किताब
एहसास के पन्नों पर लिखी हुई एक खुली किताब हूं ,
गुज़री हक़ीक़त का सिलसिलेवार हिसाब हूं ,
यादों की धूल भी कुछ लगी हुई है,
साज़िशों से कुछ पन्ने भी कतरे हुए हैं ,
ज़मीर की ज़िल्द से पन्ने यक़साँ रखने की कोशिश हुई है ,
इनमें कुछ मसर्रत के पल , कुछ दर्द में डूबे हुए लम्ह़े मिलेंगे ,
कुछ वफ़ा की दास्तान , कुछ फ़रेब खाने के बय़ान मिलेंगे ,
कुछ टूटे रिश्ते , कुछ नए मरासिम़ , कुछ दिलो जाँ से चाहने वाले अज़ीज़ मिलेंगे,
वक्त की धुंध में खो जाने वाले कुछ अपने , तो कुछ अजनबी दिल के करीब मिलेंगे ,