खुला प्रहार
जो सामाजिक विसंगतियों पर
प्रहार करे न खुलकर!
जो सांप्रदायिक रूढ़ियों पर
प्रहार करे न खुलकर!!
वह साहित्य, संगीत और कला
किस काम की है भला!
जो राजनीतिक विकृतियों पर
प्रहार करे न खुलकर!!
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