खुद से भाग कर
कहां जाओगे जाने वाले
दिल अपना तड़पाने वाले
गमों के दौर यूं ही आते हैं
पर क्या यूं भागे जाते हैं
देख जरा तो पीछे मुड़कर
अपनी धडकन को पकड़कर
थोड़ा सा तु और सब्र कर
दिल बहलाने वाले आते हैं
सुख के दिन तभी आते हैं
जब दुख के दिन चले जाते हैं
बादल यूं ही छट जाते हैं
जब मौसम बदल जाते हैं
क्या कटेगी रात जागकर
या यूं ही खुद से भाग कर?