खुद से जंग जीतना है ।
खुद से जंग जीतना है ।
जमाना तो पहले जैसा ही है ।
बहुत हराना चाहा खुद को ,
क्या करु मन कम्बखत पहले जैसा ही है ।
ना लोग बाज़ आ सकते हैं अपने जाहिल पन से।
हो सकता हैं खुद को गिरा दू लेकिन क्या करु मन तो पहले जैसा ही है ।।
बेशक मै तैयार हूँ झुकने के लिये।
लेकिन कोई पायदान ही बना ले यह यकीनन ना होने जैसा ही है