खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे
खुद में ही मस्त रहोगे तो घमंडी हो जाओगे
बेतुके बेबुनियाद और पाखंडी हो जाओगे
वो माहौल है सत्ता विरोध का की क्या कहने
तुम सच बोल दो गे तो संघी हो जाओगे
मई की गर्मी जैसे भले हों हौसले तुम्हारे
सरकारी फाइलों के जाल में फंसकर ठंडी हो जाओगे
आम आदमी तो आम तक नही खरीद सकता
आजकल मंडी में जाओगे तो मंडी हो जाओगे
या सब चुप हैं या हूआं हूआं कर रहें हैं
तनहा तुम भी चुप रहे तो शिखंडी हो जाओगे