खुद पे विश्वास करते नहीं उम्र भर
खुद पे विश्वास करते नहीं उम्र भर
हार से वो उबरते नहीं उम्र भर
नेह की डोर में गाँठ पड़ने न दो
रिश्ते जुड़कर सँवरते नहीं उम्र भर
करते जो हाकिमों की नहीं चाकरी
पीछे रहते, उभरते नहीं उम्र भर
फूल तो खुशबुएं दे बिखर जाते हैं
शूल लेकिन बिखरते नहीं उम्र भर
मिलते अपनों से हैं जो हमें पीठ पर
जख्म गहरे वो भरते नहीं उम्र भर
ज़िन्दगी में कभी पूरे हों या नहीं
ख्वाब आँखों में मरते नहीं उम्र भर
जो बना लेते जीवन का आधार सच
फिर किसी से वो डरते नहीं उम्र भर
‘अर्चना’ दोस्तों की ये पहचान है
वादों से वो मुकरते नहीं उम्र भर
05-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद