खुद पहचान
क्या तुम खुद को पहचान सके
अपनी क्षमता को जान सके
मत भूलो अपने अस्तित्व को
और अपने हुनर से प्यार कर
समय नहीं मिला पहले मत हारो
उम्र निकल गई यह मत सोचों
जो मेहनत के पथ पर घिसता
वह पत्थर पत्थर हीरा ही होता है
न उम्र की सीमा बाधा बन सकती
न जन्म जात की दिक्कत होती
मन में अभिलाषी जब जाग्रत होती
छोड़ के पीछे सब निराशा हारती
आगे उम्मीद आशा भर पूरी होती।
-सीमा गुप्ता