खुद देख सको देखो ये हाल तुम्हारे हैं।
गज़ल
221/1222/221/1222
खुद देख सको देखो ये हाल तुम्हारे हैं।
जीवन में अंधेरा है दिन रात उजाले हैं।1
दुनियां है ये उनसे ही इस भ्रम में वो जीते हैं।
लगता है उन्हें ऐसा सब वो ही सॅंभाले हैं।2
कुछ और हैं अंदर से बाहर से दिखाते कुछ।
वो तन से तो उजले हैं पर दिल के वो काले हैं।3
दिन रात महीनों औ’र वर्षों की तपस्या है,
अब बाद इक मुद्दत के श्रीराम पधारे हैं।4
देखो न हिकारत से फुटपाथ के बच्चों को,
जैसे भी हैं वो भी तो इक मां के दुलारे हैं।5
प्रेमी हो सखा भी हो जिस रूप में देखे जो,
कोई भी नहीं जिसका प्रभु आप सहारे हैं।6
…………✍️ सत्य कुमार प्रेमी