खुद को सजते देखा है
किसी को चाहना क्या
होता है, दिल में जगह
बना कर देख लो
मैने यहाँ खुद को
सब के दिलो में
बसते देखा है……
खुद की चाहत
अब इत्नी नहीं रही
अपनी आत्मा को
सब के दिलोन में
अब बसते देखा है……
प्यार दिया है
सभी ने मुझे को इत्ना
उस प्यार में मैने
खुद को सज्ते देखा है……
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ