खुद को पाना है
खुद को पाना है
मीटर – बे बहर
विधा-कविता
हमें तो आप में खुद को पाना है,
आपसे मिलने का एक बहाना है।
मंजिल हर हाल में हमें पाना है,
हमें यूं खुद को ही आजमाना है।
हर सवाल का जवाब मिले हमें,
ऐसा खुद का व्यक्तित्व बनाना है।
जिंदगी की उलझी सी इस गुत्थी को,
हमें मौत से पहले ही सुलझाना है।
इस दुनिया में कई अच्छी बुरी बातें हैं,
हमें तो खुद की नजरों में ऊपर उठ जाना है।
क्या कर सकते हैं हम आत्मविश्वास के साथ,
खुद करके फिर हमें दुनिया को बताना है।
रचनाकार:- अभिषेक श्रीवास्तव “शिवाजी”
शहडोल मध्यप्रदेश