खुद को जानों
कभी अपने लिए भी
जी कर देखो यारो,
भोर में सूरज के
निकलने के पहले
उठकर तो देखो।
कभी करो तुम
चिड़ियों से बाते।
आई है तुमसे वो मिलने,
दाना तो डालो।
ठण्डी हवा का
अहसास तो करो न।
गहरी साँसों का करिश्मा,
भी क्या देखा है तुमने
आओ चलो करे
स्नान हम भी इस ताजगी
का कहना ही क्या है।
मन्दिरो की घण्टियाँ
बुलाती है तुमको,
अध्यात्म का पाठ
पढ़ कर जो सीखा।
हनुमान की मूर्ती
तुमने है देखी,
उठा एक पैर
करता इशारा।
निरन्तर चलो
और कहते रहो,
नही बैठ जाना है
हमको गवारा।
करो प्यार खुद से
औरो को जानो,
कभी एकांत में
बेठे हो क्या तुम ,
खुद से खुद को
यदि पहचाना है तुमने।।
परम् सुख को समझो,
जाना है तुमने।।