खुद को खोकर तुझे पाया है मैंने
ख़ुद को खोकर, तुझे पाया है, मैंने
हर रिश्ता दिल से निभाया है, मैंने
टूट कर हर बार हालातों से,
चलना ख़ुद को सिखाया है,मैंने
राह के हर क़दम पर काँटो को
हंसते हंसते गले लगाया है, मैंने
दूर हूँ, तुझ से असल मैं जितना
उतना करीब ख़्वाबों में पाया है,मैंने
तुम बिन ज़िंदगी नही थी,आसां
इस सफर को आसां बनाया है, मैंने
किस्मत का खेल समझकर,’भूपेंद्र’
यूं ही अश्कों को ज़ाया बहाया है,मैंने
भूपेंद्र रावत