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4 May 2024 · 1 min read

खुद को खुद में ही

खुद को खुद में ही
स्वयं की बातों से उलझती
खुद से ही हल पा सुलझती
स्वयं से ही स्वयं ही झगड़ती
बैचैन मन से नहीं चैन पाती
पुनः तानो-बानों में उलझती
न उम्र की ग़लती मै मानती
न जन्म को कसूरवाद ठहराती
कोशिश नयन मींच हल ढूंढ़ती
कश्मकश जिंदगी में लगी रहती
खोल नेत्र कलम थाम लिख लेती
लिख एक -एक पन्ना भरती
मन का बोझ हल्का यूं करती
सांस चैन की ले मूंदे नैन सोती।
‌-सीमा गुप्ता

Language: Hindi
58 Views

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