खुद को अकेले ही तय करना
किसी के लिए आंसू कम पड़ जाते हैं ,
जो मुस्कुराकर गम हम छिपा जाते हैं।
किसी के लिए लहरों से मचलता समंदर है
तो कोई दिल की गहराई में उतरकर देखे
न जाने कितने गम गले से हम लगाए हैं।
किसी की सांसों के हमदम कहलाए हैं
तो किसी के दर्द की दवा बन मुस्कुराए हैं।
किसी के आंगन की खाली दुनिया है,
तो किसी का जगमगाता हम आसमाँ है।
किसी के दिल तन्हाई की वजह बने बैठे है,
तो किसी का दर्द बेहिसाब बांटे हुए है।
किसी के लिए धुंधली हुई इक तस्वीर है,
तो किसी की उम्मीद भरी रोशन किरण है
किसी की खूबसूरत यादों की लिखी डायरी है,
किसी के लिए भूली हुई एक कहानी है
राहे -सफर,कोई हमसफ़र मिले ना मिले,
राहे-सफर आज नही तो कल ….
खुद को अकेले ही तय करना है।
दीपाली कालरा