खुद के अंदर ही दुनिया की सारी खुशियां छुपी हुई है।।
खुद के अंदर ही दुनिया की सारी खुशियां छुपी हुई है।।
व्यर्थ में तुम इनकी तलाश बाहर करते हो।।।
दुनिया की ऐसी कोई खुशी ऐसा कोई वस्तु नही जो तुम्हारी अंदर की खुशियों से मुकाबला कर सके।
अगर तुम खुद से संतुष्ट हो तो इस ब्रह्मांड की महंगी सी महंगी वस्तु भी तुम्हारे सामने 2 कौड़ी की लगेगी।।।
और ये सिर्फ बोलने से नही होता, खुद को तलाश करना पड़ता है, ये इतना मुश्किल है जैसे नदी में सुई ढूंढना और इतना ही आसान है जैसे भैंसो के बीच एक गाय ढूंढना।।
बस शर्त ये है कि खुद को तलाशना है तो खुद से वायदे करने होंगे, खुद से ईमानदार रहना होगा, खुद के नजरों में उठना होगा।
ढूंढो खुद को तुम क्या हो ?,जानो खुद को तुम कौन हो?
पहचानो खुद को तुम कैसे हो?
भौतिकवादी वस्तुओं से मोह त्यागना होगा जीवन क्या है मौत क्या है पहले तो ये समझो।।।
फिर खुद ही दुनिया और इसकी बनाई भौतिक सुख संसाधनों के लिए हर एक चीज सिर्फ बेकार लगेंगी।।।।