खुद की यात्रा खुद तक
मैं कहूंगी
तुम सुनो
मैं कहती रहूंगी
तुम सुनते रहो
तुम कुछ कहना चाहोगे तो
मैं नहीं सुनूंगी
यह रिश्ता तो फिर
एक तरफा हुआ ना
स्वार्थ से भरा
जो हर समय
खुद में ही उलझा हो
खुद के दर्द से ही जो
उबर न पाये
खुद की पीड़ा से व्यथित
खुद की यात्रा खुद तक
वह कभी भी
आत्मकेन्द्रित होकर
इस जीवन की यात्रा को
कहां से समझ पायेगा
आत्मसम्मान से
अपने जीवन का निर्वाह तो
कभी भी नहीं
कर पायेगा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001