सहज भूल, हो कबूल l
सहज भूल, हो कबूल l
रख रख सुंदर असूल ll
द्वेषों से, भरी भरी l
हर सोच सहज फ़िजूल ll
कर्मो की माया यह l
फल सहज, होत वसूल ll
स्वयं के मन को तोल l
तो शान्ति होगी अतुल ll
तुम खुश तो आत्मा खुश l
यह सत्य जीवन मूल ll
चिंताएं अमित रखे l
विषय प्यास बड़ी भूल ll
अरविन्द व्यास “प्यास”