!!** खुद की ताकत **!!
!!** खुद की ताकत **!!
जब कभी जिंदगी एक चारदीवारी में सिमटने लगती है,
तब कहीं से उम्मीद की एक स्वर्णिम किरण जगती है,
दहशत का माहौल है बाहर वक्त बना बैठा है कातिल,
मौत जीतने की खातिर खुद की ताक़त भी लगती है।
दीपक “दीप” श्रीवास्तव