*खुद की खोज*
ढूंढ लिया हमने जग सारा
तन्हा खुद को पाया है
व्यर्थ के सारे रिश्ते नाते
व्यर्थ ही समय गंवाया है
बिना ज्ञान के इस जीवन में कोई कमी अधूरी है
सब कुछ पाने से पहले खुद की खोज जरूरी है
चाहे कितने लक्ष्य प्राप्त हो
या प्राप्त करें कितनी धन माया
चाहे मिल जाए महल अटारी
या मिल जाए सुंदर काया
झांक हृदय में जब भी देखा कोई कमी अधूरी है
सब कुछ पाने से पहले खुद की खोज जरूरी है
निश्चय ही यह जीवन ज्यादा ना चल पाएगा
मेरा मेरा कहते-कहते माटी में मिल जाएगा
देख सभी – ए मूरख बंदे
सब माटी की ढेरी है
सब कुछ पाने से पहले खुद की खोज जरूरी है
सब कुछ पाने से पहले खुद की खोज जरूरी है