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11 May 2024 · 1 min read

खुद का साथ

खुद से खुद का,
साथ ही अच्छा,
जितना निभ जाऐ,
उतना हीअच्छा,
उपहास, व्यंग्य,
अपमान से हटकर,
निर्जन मे अविकल,
‘गरल’ ही अच्छा…

कितना किस संग,
सपने देखें,
कितना किसको,
महसूस करें,
नीरव से एकांत मे रहकर,
खुद का एक,
अस्तित्व ही अच्छा…

वह युगल गीत,
आवश्यक क्यूं,
जहाँ अरोह नहीं,
अवरोह नहीं,
ऐसे उस कोलाहल से तो,
एकाकी वह,
गान ही अच्छा…

© विवेक’वारिद’ *

Language: Hindi
42 Views
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