!! खुद का दर्द ..कैसे बयान करें दोनों !!
नींद तो तुझ को भी नहीं आएगी
न ही अब मुझ को आएगी
बाते तन्हाई से होंगी अब
मुलाकाते होंगी जाकर आसमान में !!
क्याल आ आ कर दरवाजे से
चला जाएगा , उस को
न तो तुम बुलाओगे, और न
ही में उस से बाते करूंगा पहले जैसे !!
किसी बात का गुमान तो तुम को
भी बहुत है खुदगर्जी का
पर स्वाभिमान मैं भी बहुत
हूँ अपने गुमान के लिए जान लो !!
दर्द तो तुम भी छूपा लोगे
बेदर्द जमाने की नजरों में
पर दर्द तो मुझ को भी बहुत है
खुद को बस सताने के लिए !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ