खुदा हमें क्यों मिलाया
तरही गज़ल
1212 / 1122/ 1212 / 22
यूँ मुस्कुरा के ग़में दिल अज़ाब दे जाओं l
वो जाने वाले लबों का शराब दे जाओं ll
हयात में क्या रखा है बिना तुम्हारें अब l
मिला के ज़हर मुझे तुम शराब दे जाओं ll
जगा दे सोयें वो अरमां जनाब दे जाओं l
जवानों के रगों में इंकिलाब दे जाओं ll
घना अँधेरा है दिल का ए आशियां मेरे l
वो आफ़ताब मेरे माहताब दे जाओं ll
फ़लक जमीं कि तरह गर जुदा ही करना था l
खुदा हमें क्यों मिलाया जवाब दे जाओं ll
तड़प-तड़प के तेरे बिन सहर से शाम हुई l
उदास रात है कोई तो ख्वाब दे जाओंll
पसंद गर न हो’ आशिकमिज़ाज तो आकर l
सवाल कुछ मेरे भी है जवाब दे जाओं ll
जरा ठहर जा फज़ा और तू भी पुरवाई l
ये गुलबदन या परी है शबाब दे जाओं ll
हबीब याद करेंगे तुम्हें हमेशा ही l
हसीन यादों की अपनी किताब दे जाओं ll
✍ दुष्यंत कुमार पटेल
अज़ाब – मुश्किल
हयात – ज़िंदगी
आफ़ताब – सूरज
माहताब – चाँद
फलक – आसमाँ
सहर – सुबह
गुलबदन – फूलों जैसी अंगों वाली
हबीब – मित्र