खुदा सा लगता है।
कुछ कुछ वो मुझको खुदा सा लगता है।
जो मेरी सब जरूरतों को पूरा करता है।।
इत्तेफ़ाक़ से नही उसको मांगा है रब से।
वो मुझको मेरी मांगी दुआ सा लगता है।।
उसकी आहट से ही मैं पहचान लेता हूँ।
खुशबुओं से भरी वो सबा सा लगता है।।
यह गम है इश्क का जल्दी जाएगा नहीं।
देखो उसको कितना बुझा सा लगता है।।
सुना है हर किसीको ही मिलती है शिफ़ा।
जाके देखो शायद दर खुदा का लगता है।।
हर किसी की चाहत उससे मिलने की है।
उसका बोलना सबको दवा सा लगता है।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ