खुदा पर है यकीन।
मोहब्बत और नफरत में हद नहीं होती।
दिल के जहां में कोई सरहद नहीं होती।।1।।
वफा के बदले वफा तुमसे मांगता नही।
दिलके रिश्ते में कोई भी शर्त नहीं होती।।2।।
हर दिल में अकीदा है खुदा पर है यकीं।
पहचान ए इस्लाम दहशतगर्द नही होती।।3।।
दौलत में गुमराह है ये सारी ही दुनियां।
जहां में गरीबों की कोई कद्र नहीं होती।।4।।
क्यों बेचैनियाँ लेते हो करके मोहब्बत।
बिमार ए इश्क सी कोई मर्ज नही होती।।5।।
हर रिश्ते में आला है घर का उजाला है।
मां ही है जो कभी खुद – गर्ज नही होती।।6।।
अभी भी वक्त है पा लो हिदायत रब से।
गुनाह ए जिन्दगी कभी फर्ज नही होती।।7।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ