खुदा का नाम बदनाम कर दिया …
मेरी औलाद निकली ऐसी न मुराद ,
जिसने मेरा नाम बदनाम कर दिया ।
मैने कब की मजहब की दीवारें खड़ी ,
तुमने खुद ही यह फासला बना दिया ।
मैने तो इंसानियत का धर्म बनाया था,
तुमने उसी को अपने हाथों मिटा दिया ।
यह कत्ल ए आम, नफरत कहां से सीखी ?
मैने तो रहम और प्यार का पैगाम था दिया ।
खुदा की शान में गुस्ताखी पहले तुमने की ,
और उसपर हंगामा फिर तुमने ही कर दिया ।
चांद पर भी कोई थूक सकता है भला कोई,
कोशिश की तो अपना मुंह खुद मैला कर दिया ।
अपनी तहजीब अपना ईमान कहां भूल आए,
मेरी उसी तालीम को तुमने भुला दिया ।
कुर्बानी के नाम पर बेजुबानों का खून बहाते हो,
अपने गुनाहों की कुर्बानी को तो नकार दिया ।
“अनु” फरियाद करती है खुदा के बंदों से ,
क्यों तुमने खुदा का असली फरमान भुला दिया ।