खुदा ऐ पाक
कुरान-ए-शरीफ को भुलाकर तूने
इस दौलत का नशा चड़ा रखा है
तूने अपने दिल के अंदर से
खुदा का खौफ भुला रखा है
जरा सोंच के क्या हस्र होगा तेरा
खुदा के दरवार ऐ कयामत में
तूने उसकी रहमतों को भूलकर के
पाप अधर्म का दामन थाम रखा है
खुद दगावाजी कर रहा है इश्क में
खुदा पर वेवफाई का इल्ज़ाम लगा रखा है
जिस दिल में बसती है मोहब्बत खुदा की
तूने वो दिल ही निकाल रखा है
आवरू तेरी उन्हीं के तो पास है
जा माफी मांग और खुद को वचा ले
थक जायेगी तो तुम्हें जाना उसी घर है
फिर क्यों वहां से रिश्ता तोड़ रखा है
वेखॉफ शायर :-
? राहुल कुमार सागर ?
बदायूंनी