Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jan 2018 · 1 min read

खिलौने

कितने ही रुपों में होते हैं खिलौने,
किन्तु उनका एक मात्र प्रयोजन होता है किसी के हाथों खेला जाना।
खिलौने जो सिर्फ बच्चों के लिए होते हैं,
बच्चे जिन्हे अपनी जान से ज्यादा चाहते हैं,
वह इन्हे खोना नहीं चाहते,
यह बात और है कि वह खेलते हुए टूट जाऐं,
पर वह फिर भी उन्हें संजोए रखते हैं,
और करते हैं प्रयास उन्हे बनाने का।
कुछ खिलौने ऐसे भी होते हैं,
जो अमीरों के घर की साज सज्जा का अंग होते हैं,
उन पर धूल भी नहीं जम पाती,
एक दम साफ सुथरे ,तरो ताजा,
आकर्षक मुश्कान बिखरते हुए।
कुछ ऐसे खिलौने भी होते हैं,
जो सिर्फ ,कुछ लोगों के हाथ खेले जाते हैं,
खिलाने वाला वह शख्स कोई भी हो सकता है,
और वह उसे कब , कैसे ,एवं किसके विरुद्ध खिलाता है,
इसठा चयन वह अपने अनुसार तय करता है,
जैसे किसी प्रतिस्प्रधी के विरुध या कि किसी जाति, समुदाय,ब्यवसायी,रचनाधर्मी,या किसी,राजनितिज्ञ के विरुध ,
ये खिलौने ऐसे ही होते हैं,
यह ऐसे ही लोगों के हाथ खेला जाना पसन्द करते हैं,औ कभी कभी तो इनकी महत्वाकांक्षा
इन्हे अपनो के विरुद्ध भी खेलने को भी होती है,
वह अपने मित्र हों,परिजन हों,आका हों,
के विरुद्ध भी खेलने को प्रस्तुत होते हैं,
क्योंकि इनकी चाहत इन्हे बडे बडों के तक
पहुंचने को प्रेरित करती है,
और इसी लिए यह बडे बडों तक पहुंचना,और उनके हाथों खेला जाना पसन्द करते हैं,
ऐसे खिलौने निर्जीव नहीं सजीव होते हैं।

Language: Hindi
218 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
"बिन तेरे"
Dr. Kishan tandon kranti
मेरे बुद्ध महान !
मेरे बुद्ध महान !
मनोज कर्ण
जिंदगी एक चादर है
जिंदगी एक चादर है
Ram Krishan Rastogi
*छाया कैसा  नशा है कैसा ये जादू*
*छाया कैसा नशा है कैसा ये जादू*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
💐प्रेम कौतुक-556💐
💐प्रेम कौतुक-556💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
अगर मेरी मोहब्बत का
अगर मेरी मोहब्बत का
श्याम सिंह बिष्ट
*रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार (कुंडलिया)*
*रक्षक है जनतंत्र का, छोटा-सा अखबार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
मगर अब मैं शब्दों को निगलने लगा हूँ
VINOD CHAUHAN
3) मैं किताब हूँ
3) मैं किताब हूँ
पूनम झा 'प्रथमा'
हुआ अच्छा कि मजनूँ
हुआ अच्छा कि मजनूँ
Satish Srijan
हर बात हर शै
हर बात हर शै
हिमांशु Kulshrestha
क्रोधावेग और प्रेमातिरेक पर सुभाषित / MUSAFIR BAITHA
क्रोधावेग और प्रेमातिरेक पर सुभाषित / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
जाते हो.....❤️
जाते हो.....❤️
Srishty Bansal
हर किसी का कर्ज़ चुकता हो गया
हर किसी का कर्ज़ चुकता हो गया
Shweta Soni
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
कैसे भुला दूँ उस भूलने वाले को मैं,
Vishal babu (vishu)
Experience Life
Experience Life
Saransh Singh 'Priyam'
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
मृदा मात्र गुबार नहीं हूँ
AJAY AMITABH SUMAN
प्रेम में डूब जाने वाले,
प्रेम में डूब जाने वाले,
Buddha Prakash
महसूस तो होती हैं
महसूस तो होती हैं
शेखर सिंह
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
अनपढ़ व्यक्ति से ज़्यादा पढ़ा लिखा व्यक्ति जातिवाद करता है आ
Anand Kumar
#DrArunKumarshastri
#DrArunKumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
बेगुनाह कोई नहीं है इस दुनिया में...
Radhakishan R. Mundhra
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
ये जुल्म नहीं तू सहनकर
gurudeenverma198
तुम      चुप    रहो    तो  मैं  कुछ  बोलूँ
तुम चुप रहो तो मैं कुछ बोलूँ
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
बाल चुभे तो पत्नी बरसेगी बन गोला/आकर्षण से मार कांच का दिल है भामा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
■ आज़ाद भारत के दूसरे पटेल।
*Author प्रणय प्रभात*
वरदान
वरदान
पंकज कुमार कर्ण
तन्हा
तन्हा
अमित मिश्र
Loading...