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7 Jan 2022 · 1 min read

खिलौने

सिर्फ़ और सिर्फ़ खिलौने
उसके हर तरफ़ खिलौने ही खिलौने
किताबें नहीं, बस खिलौने।
वो स्कूल नहीं जाता था
पढ़ाई-लिखाई नहीं करता था।
वो गाड़ियों के पीछे दौड़ता था
हँसते हुए कहा करता था
“साब, एक खिलौना ले लो”
अज़ीब बचपन था उसका
जिसमें खिलौने तो थे
मगर कोई खेल न था।

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
384 Views

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