*खिले जब फूल दो भू पर, मधुर यह प्यार रचते हैं (मुक्तक)*
खिले जब फूल दो भू पर, मधुर यह प्यार रचते हैं (मुक्तक)
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खिले जब फूल दो भू पर, मधुर यह प्यार रचते हैं
यहॉं दिल हार कर प्रेमी, सुखद आभार रचते हैं
जगत का सार चंदन-सी, सुवासित श्वास केवल है
सदा से प्रेम में डूबे, हृदय संसार रचते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451