खिले-खिले
जिसने दीवारें खड़ी की, कहते हैं वहीं रास्ते भूलें
ऐसा होता है क्या हर मोड़ पर शख्स वहीं मिले
इस दौर के तो फ़साना भी अजीबोगरीब है यार
जिसपे भरोसा करों तोड़े फूल वहीं खिले-खिले।।नितु साह
जिसने दीवारें खड़ी की, कहते हैं वहीं रास्ते भूलें
ऐसा होता है क्या हर मोड़ पर शख्स वहीं मिले
इस दौर के तो फ़साना भी अजीबोगरीब है यार
जिसपे भरोसा करों तोड़े फूल वहीं खिले-खिले।।नितु साह