Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2024 · 1 min read

खिलते हरसिंगार

मुक्तक
~~
भोर समय से पूर्व ही, खिलते हरसिंगार।
वासंती ऋतुकाल में, आता खूब निखार।
श्रीहरि को हैं प्रिय बहुत, पारिजात के पुष्प।
घर आंगन में जब खिलें, महके प्रिय संसार।
~~
श्वेत पुष्प आभा भरे, सबको भाते खूब।
दृश्य लुभावन प्रिय बहुत, हरी भरी है दूब।
पारिजात के पुष्प ये, महिमा लिए अपार।
जब सम्मुख आते कभी, मिट जाती है ऊब।
~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 35 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all

You may also like these posts

सापटी
सापटी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
चलो कुछ कहें
चलो कुछ कहें
Dr. Rajeev Jain
अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
'अशांत' शेखर
‘तेवरी’ अपना काव्यशास्त्र स्वयं रच रही है +डॉ. कृष्णावतार ‘करुण’
‘तेवरी’ अपना काव्यशास्त्र स्वयं रच रही है +डॉ. कृष्णावतार ‘करुण’
कवि रमेशराज
देश हमारा
देश हमारा
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*आत्म विश्वास की ज्योति*
*आत्म विश्वास की ज्योति*
Er.Navaneet R Shandily
.
.
Ankit Halke jha
एक गरीब की इज्जत अमीर की शोहरत से कई गुना अधिक बढ़ के होती ह
एक गरीब की इज्जत अमीर की शोहरत से कई गुना अधिक बढ़ के होती ह
Rj Anand Prajapati
मुहब्बत क्या बला है
मुहब्बत क्या बला है
Arvind trivedi
सफर जीवन का चलता रहे जैसे है चल रहा
सफर जीवन का चलता रहे जैसे है चल रहा
पूर्वार्थ
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
अर्थ में प्रेम है, काम में प्रेम है,
Abhishek Soni
- जिम्मेदारीया -
- जिम्मेदारीया -
bharat gehlot
*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
*यूँ आग लगी प्यासे तन में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
" कद्र "
Dr. Kishan tandon kranti
😊
😊
*प्रणय*
#उलझन
#उलझन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
4101.💐 *पूर्णिका* 💐
4101.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बस यूँ ही...
बस यूँ ही...
हिमांशु Kulshrestha
करके  जो  गुनाहों  को
करके जो गुनाहों को
Dr fauzia Naseem shad
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
*मुहर लगी है आज देश पर, श्री राम के नाम की (गीत)*
Ravi Prakash
कत्थई गुलाब-शेष
कत्थई गुलाब-शेष
Shweta Soni
बच्चे मन के सच्चे
बच्चे मन के सच्चे
Savitri Dhayal
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
एक राखी बाँधना स्वयं की कलाई में
Saraswati Bajpai
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
मन बहुत चंचल हुआ करता मगर।
surenderpal vaidya
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
जिस दिन ना तुझे देखूं दिन भर पुकारती हूं।
Phool gufran
एक अधूरी नज़्म
एक अधूरी नज़्म
Kanchan Advaita
पहला खत
पहला खत
Mamta Rani
हिंदुत्व अभी तक सोया है, 2
हिंदुत्व अभी तक सोया है, 2
श्रीकृष्ण शुक्ल
मुझे जागना है !
मुझे जागना है !
Pradeep Shoree
Loading...