Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Sep 2024 · 1 min read

खिलते हरसिंगार

मुक्तक
~~
भोर समय से पूर्व ही, खिलते हरसिंगार।
वासंती ऋतुकाल में, आता खूब निखार।
श्रीहरि को हैं प्रिय बहुत, पारिजात के पुष्प।
घर आंगन में जब खिलें, महके प्रिय संसार।
~~
श्वेत पुष्प आभा भरे, सबको भाते खूब।
दृश्य लुभावन प्रिय बहुत, हरी भरी है दूब।
पारिजात के पुष्प ये, महिमा लिए अपार।
जब सम्मुख आते कभी, मिट जाती है ऊब।
~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

1 Like · 1 Comment · 31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
गीत, मेरे गांव के पनघट पर
Mohan Pandey
आया तेरे दर पर बेटा माँ
आया तेरे दर पर बेटा माँ
Basant Bhagawan Roy
अरदास
अरदास
Buddha Prakash
T
T
*प्रणय*
Red Hot Line
Red Hot Line
Poonam Matia
गिरमिटिया मजदूर
गिरमिटिया मजदूर
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
इन चरागों को अपनी आंखों में कुछ इस तरह महफूज़ रखना,
इन चरागों को अपनी आंखों में कुछ इस तरह महफूज़ रखना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
गृहस्थ के राम
गृहस्थ के राम
Sanjay ' शून्य'
चलती  है  जिन्दगी  क्या ,  सांस , आवाज़  दोनों ,
चलती है जिन्दगी क्या , सांस , आवाज़ दोनों ,
Neelofar Khan
विनती
विनती
Dr. Upasana Pandey
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
Shweta Soni
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
जिंदगी कैमेरा बन गयी है ,
Manisha Wandhare
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
ବିଭାଗ[ସମ୍ପାଦନା]
Otteri Selvakumar
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
ना मुझे मुक़द्दर पर था भरोसा, ना ही तक़दीर पे विश्वास।
कविता झा ‘गीत’
शिव
शिव
Dr. Vaishali Verma
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
पर्दा हटते ही रोशनी में आ जाए कोई
कवि दीपक बवेजा
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
छल करने की हुनर उनमें इस कदर थी ,
Yogendra Chaturwedi
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
खुदा किसी को किसी पर फ़िदा ना करें
$úDhÁ MãÚ₹Yá
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
पिछले पन्ने 4
पिछले पन्ने 4
Paras Nath Jha
कमली हुई तेरे प्यार की
कमली हुई तेरे प्यार की
Swami Ganganiya
दुनिया रैन बसेरा है
दुनिया रैन बसेरा है
अरशद रसूल बदायूंनी
भूल ना था
भूल ना था
भरत कुमार सोलंकी
न लिखना जानूँ...
न लिखना जानूँ...
Satish Srijan
मुक्तक
मुक्तक
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
" सजदा "
Dr. Kishan tandon kranti
4517.*पूर्णिका*
4517.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"हमारे नेता "
DrLakshman Jha Parimal
Loading...