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26 Sep 2024 · 1 min read

खिलते हरसिंगार

मुक्तक
~~
भोर समय से पूर्व ही, खिलते हरसिंगार।
वासंती ऋतुकाल में, आता खूब निखार।
श्रीहरि को हैं प्रिय बहुत, पारिजात के पुष्प।
घर आंगन में जब खिलें, महके प्रिय संसार।
~~
श्वेत पुष्प आभा भरे, सबको भाते खूब।
दृश्य लुभावन प्रिय बहुत, हरी भरी है दूब।
पारिजात के पुष्प ये, महिमा लिए अपार।
जब सम्मुख आते कभी, मिट जाती है ऊब।
~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

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