खिलते फूल
एक बंजर सा खेत था।
उसको देख माली बाबा ने कमर कसी।
फिर माली बाबा ने उस खेत को सींचा हंसी खुशी।
हौले हौले एक बगिया, अपनी मेहनत से बना दी हैं।
रोज निराई गुडाई कर,
फूलो की हंसी खूब खिला दी है।।
दिल से मेहनत करके,
सुन्दर फुलवारी बना दी है।
अपने इस कर्म से,
तितली भंवरो के मन मे खुशी भर दी है।।
माली बाबा ने अपने फूलो को,
इतना खास बना दिया है।
डलिया में फूल भरके ,
उनको हाट तक पहुँचा दिया है।।
खिंचा हुआ एक शहरी आया, ।
उसको फूल भा गये हैं।
उसने झट से पैसे देकर,
फूल अपने बना लिये है ।।
उसके संग खुशी से ,
फूल महकते उसके घर आते है।
घरवालो का मन हरषाते,
सबका मन बहलाते हैं।।
माली बाबा इतने हर्षित हैं,
कि और भी फूल खिलाते हैं।
उन की प्रसन्नता देखकर,
फूल भी खिलते जाते हैं।
डा. पूनम पांडे