खिलखिलाते
खुशियों को तुम पर हरपल खिलखिलाते हुए देखा।
आँखों को भी शर्म से हरपल शरमाते हुए देखा।।
आकाश के तारों को आगन में आँलिगन करते देखा ।
रात के बाद मधु ने सूरज को सुबह फिर निकलते देखा ।।
दीपों से दीप सभी ने जलाये मन के दीप जलाये नहीं।
दीनों पर दिखा दया भाव बुजुर्गों को सहारा दिये नही ।।
घर पर सब खैरियत रही पड़ोसी देशों ने सोने दिया नहीं।
मधु देखती माहौल आज का वक्त ने किया बेबस नहीं ।।