खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
टपकता सोम पत्थर से, कभी तुम भींचकर देखो ।
अमलतासी सुमन होकर, अगर महकें न तो कहना-
प्रणय की धार से रिश्ते, कभी तुम सींचकर देखो ।
अशोक दीप
खिचे है लीक जल पर भी,कभी तुम खींचकर देखो ।
टपकता सोम पत्थर से, कभी तुम भींचकर देखो ।
अमलतासी सुमन होकर, अगर महकें न तो कहना-
प्रणय की धार से रिश्ते, कभी तुम सींचकर देखो ।
अशोक दीप