Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Oct 2021 · 2 min read

खिचड़ी ( हास्य व्यंग कविता )

खिचड़ी कुकर में ही नहीं ,
खिचड़ी दिमाग में भी पकती है ।
जहां मिलें चार यार ,/ सहेलियां ,
खिचड़ी वहीं पकती है।

खिचड़ी कुकर में पके या दिमाग में,
अगर पकती है तो स्वादिष्ट ही पकती है।
मजा जितना इसे खाने में आता है ,
व्यंग्य का घी डालकर सुनाने में भी,
यह उतनी ही भली लगती है।

और जो बड़े मजे से सुनता है ,
उसे इसकी रेसिपी उतनी ही शानदार लगती है ।
तभी यह खिचड़ी और चार लोगों में,
बांटी जाती है और परोसी जाती है।
तब यह खिचड़ी नहीं खिचड़ा बन जाती है।
क्योंकि इसमें फिर सामग्री और मिल जाती है।

खिचड़ी तो मीडिया वाले भी अच्छी पका लेते हैं,
जनता के दिमाग में ,नेताओं के दिमाग में,
यह परोसते है अपनी अदा और मनुहार के साथ ।
इसका स्वाद तो तब और भी बेहतरीन हो जाता है,
जब इसमें मसालों की भरमार जायदा हो जाती है।

खिचड़ी चाहे कोई सी भी हो ,
बीमार हो या स्वस्थ ,सबको भली लगती है।
भले ही मुंह में स्वाद खराब हो ,
मगर मसाले और डाल दो तो ,
अचार ,दही ,घी ,पापड़ के साथ ,
बहुत लजीज लगती है।
तभी तो कहते है ” खिचड़ी के चार यार ,
दही ,पापड़ ,घी और आचार ।
और कोई गॉसिप उसे सुना दो ,
तो उसके दिमाग में भी खिचड़ी पकने लगती है ।
और बीमारी से ध्यान हट जाता है,
और तबियत ऐसे में प्रसन्न हो जाती है।
देखिए जनाब ! खिचड़ी हर तरह से सेहद के ,
लिए लाभदायक ही होती है।

इस खिचड़ी की लोकप्रियता ,
जिस तरह से इतनी बढ़ गई है ।
आप हैरान होंगे विदेशों में भी इसकी ,
डिमांड बढ़ गई है।
पहले भारतीय फिर पड़ोसी मुल्क ,
और अब यूरोप में भी पकने लगी है।
घरों का तो पता नही मगर विदेशी ,
राजनायकों के दिमाग में भी पकने लगी है।

इसीलिए हमारा विचार है इसके ,
इस तरह के जबरदस्त प्रभाव और लोकप्रियता ,
को देखते हुए इसे राष्ट्रीय व्यंजन ही नही ,
अंतर्राष्ट्रीय व्यंजन घोषित कर देना चाहिए ।

व्यंजन हमने इसे इसीलिए कहा ,
क्योंकि यह सारे नामी व्यंजनों में ,
सबसे अधिक प्रभावकारी और प्रतिभाशाली है।
जो दुनिया के जुबान पर ही नहीं ,
दिल और दिमाग पर भी राज करती है।

Language: Hindi
4 Likes · 3 Comments · 1218 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
आवाजें
आवाजें
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
शीशे को इतना भी कमजोर समझने की भूल मत करना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिन्दगी हर क़दम पर दो रास्ते देती है
जिन्दगी हर क़दम पर दो रास्ते देती है
Rekha khichi
*फागुन का बस नाम है, असली चैत महान (कुंडलिया)*
*फागुन का बस नाम है, असली चैत महान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
शब्द लौटकर आते हैं,,,,
Shweta Soni
देश चलता नहीं,
देश चलता नहीं,
नेताम आर सी
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
एक सांप तब तक किसी को मित्र बनाकर रखता है जब तक वह भूखा न हो
Rj Anand Prajapati
ज़रा मुस्क़ुरा दो
ज़रा मुस्क़ुरा दो
आर.एस. 'प्रीतम'
✍️ दोहा ✍️
✍️ दोहा ✍️
राधेश्याम "रागी"
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
3154.*पूर्णिका*
3154.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
भिनसार ले जल्दी उठके, रंधनी कती जाथे झटके।
PK Pappu Patel
मैं
मैं
Dr.Pratibha Prakash
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
सामी विकेट लपक लो, और जडेजा कैच।
गुमनाम 'बाबा'
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
Mohan Pandey
चल बन्दे.....
चल बन्दे.....
Srishty Bansal
श्रृंगार
श्रृंगार
Mamta Rani
"भोपालपट्टनम"
Dr. Kishan tandon kranti
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
वो जो कहते है पढ़ना सबसे आसान काम है
पूर्वार्थ
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
दिन भर घूमती हैं लाशे इस शेहर में
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
आता एक बार फिर से तो
आता एक बार फिर से तो
Dr Manju Saini
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चुनिंदा अश'आर
चुनिंदा अश'आर
Dr fauzia Naseem shad
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
कभी उन बहनों को ना सताना जिनके माँ पिता साथ छोड़ गये हो।
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्तंभ बिन संविधान
स्तंभ बिन संविधान
Mahender Singh
सोलह श्राद्ध
सोलह श्राद्ध
Kavita Chouhan
जलती बाती प्रेम की,
जलती बाती प्रेम की,
sushil sarna
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
*रंगीला रे रंगीला (Song)*
Dushyant Kumar
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
💐💐कुण्डलिया निवेदन💐💐
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
Loading...