*आओ लक्ष्मी मातु श्री, दो जग को वरदान (कुंडलिया)*
वो दौर था ज़माना जब नज़र किरदार पर रखता था।
जीवन को पैगाम समझना पड़ता है
हर तूफ़ान के बाद खुद को समेट कर सजाया है
दोनों की सादगी देख कर ऐसा नज़र आता है जैसे,
लोग अब हमसे ख़फा रहते हैं
सच जानते हैं फिर भी अनजान बनते हैं
इच्छा और परीक्षा
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दुनियां में सब नौकर हैं,
Anamika Tiwari 'annpurna '
जो बरसे न जमकर, वो सावन कैसा
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है और कन्य
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
खिला हूं आजतक मौसम के थपेड़े सहकर।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
One fails forward toward success - Charles Kettering
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
सभी के स्टेटस मे 9दिन माँ माँ अगर सभी के घर मे माँ ख़ुश है तो