खाली पेट युद्ध लड़ते जो
जिनके पेट भरे होते हैं, वे लड़ सकते नहीं लड़ाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
काम नहीं आती हैं बातें, आग युद्ध में विजय दिलाती
जब मनुष्य ठोकर खाता तब, आग कलेजे में लग जाती
आग युद्ध में ध्वंस मचाती, जा सकती यह नहीं बुझाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
भरे पेट वाले रावण से, रामचन्द्र का हुआ समर था
नाभिकुण्ड में सुधा बसी थी, वर पाकर वह हुआ अमर था
वनवासी थे राम उस समय, जब लंका पर हुई चढ़ाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
दुर्योधन का पेट भरा था, पाण्डव खाली पेट लड़े थे
बड़े सूरमाओं के सम्मुख, छोटे छोटे वीर खड़े थे
जो थे खाली पेट उन्हीं को, सम्बल देते रहे कन्हाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
तपसी बन विक्रमादित्य ने, सभी शकों को मार भगाया
खाली पेट महाराणा ने, था अकबर को सबक सिखाया
ताकत के पुतले बापू ने, अंग्रेजों को धूल चटाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
भरे पेट वाले बहुतों को, मोदी योगी ने ललकारा
लोकतंत्र के महासमर में, चुनचुन कर अनेक को मारा
खाली पेट देशसेवा कर, की दोनों ने कीर्ति कमाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
भरे पेट वाले न कभी भी, भला देश का कर पाते हैं
भूखे पेट तपस्या रत रह, साधु संत आगे आते हैं
जिन पर कृपा ईश की होती, वे ही करते जगत भलाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
जिनके पेट भरे होते वे, सत्कर्मों के निकट न आते
अगर कभी आ भी जाएं तो, वे किंचित आनंद न पाते
तपस्थली में आकर भी वे, यही चाहते हो पहुनाई
खाली पेट युद्ध लड़ते जो, मात न कभी उन्होंने खायी
महेश चन्द्र त्रिपाठी